गोरक्षको के खिलाफ दलितों के एकजूट होने के बाद अब जयपुर के बंजारा समुदाय ने भी गोरक्षकों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। 4 अक्टूबर को गाय संरक्षक द्वारा समुदाय के सदस्यों पर हमले पर, राजसमंद में बड़ी संख्या में बंजारा समुदाय के लोग एकत्रित हुए। लगभग 1,000 लोगों की सभा में भीलवाड़ा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ से लोगों ने भाग लिया। जिसमें बंजारो ने अपनी पहचान और जीवन जीने का अधिकार के लिए मांग करते हुए नारे लगाए। उन्होंने नारा दिया, ‘बैल बेचना हमारी पहचान, हमारा अधिकार हमारा संघर्ष’
दरअसल बंजारो का यह विद्रोह तब शुरु होता है जब 4 अक्टूबर को एक सरकार द्वारा आयोजित पशु मैला में से लेजा रहें पशुओं से लदा एक ट्रक को बजरंग दल गुंडे रोक देते हैं। ट्रक आगे ले जाने के लिए पांच हजार रुपए मांगने लगे। बंजारो ने इसको देने के इंकार के बाद उनके साथ मारपीट की जाने लगी।
बजांरा समुदाय की मांग है पशुओं को बेचना उनका काम है। लेकिन गोरक्षक जबरन पुलिस के साथ मिलकर वसूली करते हैं। पशु तस्करी का झुठा केस लगाकर उनको परेशान किया जाता है। बंजारों के पास न तो शिक्षा है ना ही स्वास्थ्य, जिस तरह से उना के दलितों ने एैलान किया कि तुम तुम्हारी गाय का पूछ रखों और हमारी जमीन वापस करों, वैसे ही बंजारों को भी राज्य सरकार से यही मांग करते हैं।
बंजारा समुदाय परंपरागत रूप से बैलों व अन्य पशुओं का व्यापार करता आ रहा है। उनका आरोप है बजरंग दल और अन्य संगठनों के लोग इनसे वसूली, लूटपाट व मारपीट करके समय-समय पर प्रताड़ित करते रहते हैं।