कैसे दूर होगा BMC का संकट?
बीएमसी चुनावों में भाजपा को 82 सीटें मिली हैं और शिवसेना आज तीन निर्दलीयों के समर्थन के साथ 87 के आंकड़े पर पहुंच गयी है। 227 सदस्यीय निगम में बहुमत के लिए 114 का जादुई आंकड़ा छूना होगा। एक निर्दलीय का समर्थन पाकर बीजेपी पहुंच गयी है 83 पर, यानि अभी भी बहुमत से शिवसेना 27 और बीजेपी 31 सीट दूर है, दोनों हाथ मिला लें तो मुश्किल फौरन दूर हो जाएगी, क्योंकि मौजूदा सूरत में आंकड़ा 170 हो जाएगा लेकिन दोनों पार्टियां अगर साथ नहीं आती हैं तो विकल्प क्या है, शिवसेना और बीजेपी दोनों ही जानती हैं कि विकल्प बेहद सीमित है, क्योंकि तीसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है और बीजेपी का उससे हाथ मिलाना बिल्कुल नामुमकिन है। लेकिन ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या कांग्रेस से हाथ मिलाएगी शिवसेना?
कहते हैं दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है। इस बार बीएमसी चुनाव में शिवसेना और कांग्रेस इन दोनों की ही दुश्मन बीजेपी थी। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या बीएमसी की सत्ता हासिल करने के लिये शिवसेना, कांग्रेस के साथ बीजेपी की दुश्मनी का हवाला देकर उससे मदद मांगेगी क्योंकि BMC नतीजों के बाद कांग्रेस नेता नारायण राणे ने भी कह दिया है कि शिवसेना हमारी दुश्मन नहीं।
अगर ऐसा हुआ तो शिवसेना के 87 और कांग्रेस के 31 मिलकर 118 हो जाते हैं। यानि बहुमत से चार सीटें ज्यादा, लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा होगा, हालांकि इसकी उम्मीद कम ही नज़र आ रही है क्योंकि शिवसेना के लिए कांग्रेस के साथ जाने से बेहतर विकल्प दुश्मनी भुलाकर बीजेपी से हाथ मिलाना हो सकता है, जिसके भी संकेत भी मिल रहे हैं।