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श्री घटक कहती हैं, “मुझे संजय से ठीक उसी तरह प्यार हुआ जैसे किसी लड़की को किसी लड़के से होता है। प्यार शारीरिक बनावट देखकर नहीं दिलों के बीच होता है।” संजय कहते हैं कि समाज की उपेक्षा के चलते हम कई बार इस रिश्ते को लेकर कन्फ्यूज भी हुए, लेकिन हमारे प्यारे में कभी भी कमी नहीं आई। इसी का नतीजा है कि हमने इस रिश्ते को शादी तक पहुंचाने में कामयाब हुए।
ट्रांसजेंडर श्री घटक ने बताया कि मेरा लोगों ने काफी मजाक उड़ाया और मुझे कई बार मारा-पीटा भी गया। पूरे परिवार में मां के अलावा मेरी भावनाओं को समझने वाला कोई भी नहीं था, मां ही मेरे साथ आखिरी तक खड़ी रहीं। वहीं संजय मुहूरी और श्री घटक ने ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के लिए नया उदाहरण पेश किया है।
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