कोर्ट ने कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा घटाते हुए 20 सितंबर तक प्रतिदिन 12,000 क्यूसेक पानी जारी करने का आदेश दिया ताकि समीपवर्ती राज्य के किसानों की हालत में सुधार हो सके।
उच्चतम न्यायालय ने पूर्व में दिये गये 15,000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन जारी करने के आदेश को ठंडे बस्ते में रखने के कर्नाटक की याचिका को आज खारिज कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के आवेदन की ‘लबो लहजे’ पर नाराजगी जतायी और कहा कि उसके आदेश का अनुपालन नहीं करने के पीछे कानून और व्यवस्था की समस्या को आधार नहीं बनाया जा सकता। कर्नाटक ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि उसे 15 हजार क्यूसेक के बजाय एक हजार क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़ने को कहा जाये। ध्यान रहे कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है और उनसे विवाद को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप की अपील की है। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में कावेरी जल तमिलनाडु को देने का तीखा विरोध हो रहा है। हालांकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सर्वदलीय बैठक के बाद तमिलनाडु को पानी देने के प्रति अपना संकल्प जताया था।
पीठ ने कर्नाटक के ताजा आग्रह की सामग्री का संदर्भ देते हुए कहा ‘‘हम यह कहेंगे कि आवेदन का ‘लबो लहजा’ बहुत ही व्यथित करने वाला है।’’
आगे पीठ ने कहा कि आंदोलन, दंगे या किसी भी तरह के उकसावे वाले घटनाक्रम आदेश में बदलाव की मांग का आधार नहीं बन सकते।
पीठ ने कहा ‘‘इस कोर्ट के आदेश का सभी संबद्ध पक्षों को पालन करना होगा और कार्यपालक का दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि आदेशों का पूरी भावना के साथ पालन किया जाए।’’
तमिलनाडु के लिए पानी छोड़े जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर कर्नाटक के कई हिस्सों से किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जाने की खबर है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कर्नाटक और तमिलनाडु के दावों और उनके जवाबों पर गौर किया और कहा कि वह मामले में निष्पक्षतापूर्वक क्षतिपूर्ति की अवधारणा को लागू करेगी। इसी के साथ ही पीठ ने अगली सुनवाई 20 सितंबर को तय कर दी।