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बाद में किसी प्रकार भागकर कानपुर सीडब्लूसी तक पहुंची. वहां से उन्हें गुमला तक पहुंचाया गया. इस पूरे मामले को सामने लाने वाले समाजिक कार्यकर्ता सुरेश सिंह की माने तो इन दोनों की पूरी कहानी प्रशासन की जानकारी में है. बावजूद इसके कोई मदद नहीं मिली. बकौल सुरेश सिंह, बड़ी बहन के फंसे होने की सूचना पर भी उसे मुक्त करवाने की पहल प्रशासन ने नहीं की तो बड़ी बहन को मुक्त कराने के लिए पिता को छोटी को भी वहां तक छोड़ने का फैसला लेना पड़ा.
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