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संतोषी देवी के कहने पर अब्दुल वाहिद ने उनके लिए घर में एक मंदिर का भी प्रबंध कर दिया। एक कमरे में संतोषी पूजा अर्चना करती थीं, वहीं दूसरे कमरे में अब्दुल वाहिद की पत्नी मौसीना नमाज अदा करती थीं। विगत -तीन महीनों से संतोषी की तबीयत ज्यादा खराब चल रही थी। समय निकट आते देख उन्होंने अब्दुल से हिंदू-रीति रिवाज के अनुसार ही अपने शव का अंतिम संस्कार करने की इच्छा जाहिर की थी। रविवार को संतोषी को तेज बुखार आया था, लेकिन सुबह चार बजे संतोषी ने दम तोड़ दिया। मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोग उनकी अंतिम यात्र में शामिल हुए। संतोषी की इच्छानुसार हिंदू-रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया।
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