ये कोई काल्पनिक या मन गढ़ंत कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है इंदौर की रहने वाली एक ऐसी लड़की की, जिसने छोटी सी उम्र में लड़की और लड़का दोनों के तौर पर जिंदगी को जिया है। कभी कोमल के नाम से जानी-जाने वाली एक नन्ही और प्यारी सी बेटी आज कबीर बन चुकी है और अब वो पूरी तरह एक लड़का है। लड़कों जैसे हाव-भाव, वही भारी भरकम आवाज, चेहरे पर हल्की दाढ़ी और लड़कों जैसी अनुभव। कोमल ने काफी मशक्कत के बाद खुद को कबीर बना लिया। चलिए आपको बतातें दें कोमल की जिंदगी के अनछुए पहलू और संघर्ष की कहानी।
कोमल पैदाइशी लड़की थी और परिवार ने उसकी परवरिश भी लड़की की तरह ही की। उम्र बढ़ने के साथ उसकी उलझने भी बढ़ने लगी और दिक्कतें भी। 21 साल की होने पर उसे अपने अंदर लड़कों जैसा फील आने लगा। जिसके बाद कोमल ने अपनी आपबीती अपने परिवार को सुनाई। और परिवार ने एक ऐसा फैसला लिया, जो नामुमकिन को मुमकिन करने जैसा था।
कोमल चाहती थी कि उसका लिंग परिवर्तन कर उसे लड़का बना दिया जाए। घरवालों ने कोमल की बातों को गंभीरता से लिया और उसे लेकर डॉक्टरों से बातचीत की। जिसके बाद लिंग परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की गई। कोमल ने सर्जरी तथा हार्मोनल परिवर्तन के बाद पूरी तरह लड़के का रूप ले लिया है। कोमल ने दिल्ली के एक निजी अस्पताल में प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कराई। ये सर्जरी पूरी तरह कामयाब रही और आखिरकार कोमल एक लड़की से लड़का बन गई। जिसके बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर कबीर कर लिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोमल को कबीर बनाने के लिए तीन स्तरीय सर्जरी करनी पड़ी। पहली दो सर्जरी स्तन, बच्चेदानी और निजी अंगों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की गईं। तीसरी सर्जरी में एक पुरुष के तौर पर उसके निजी अंगों को तैयार किया गया। डॉक्टरों का दावा है कि अब वह एक सामान्य युवक की तरह अपना जीवन जी सकता है।
ये दिलचस्प कहानी टीसीएस के 28 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर की है। लड़की की तरह जिंदगी के शुरूआती बरस जीने वाली इंदौर की कोमल अब लिंग परिवर्तन के बाद कबीर बन गई। टीसीएस में कार्यरत सॉफ्टवेयर इंजीनियर कबीर के अनुसार आज वह खुद को पूरी तरह लड़के की तरह ही महसूस करता है और सर्जरी तथा हार्मोन के प्रभाव से आवाज, शारीरिक हावभाव आदि भी पूरी तरह लड़के के हासिल कर चुका है।
डॉक्टरों का कहना है कि जन्म के कुछ साल बाद बच्चे में ‘सेक्स’ यानी शारीरिक हावभाव और दिखावट तथा ‘जेंडर’ यानी दिमागी लैंगिक अभिरचियों में एकरुपता नहीं होने का आभास होने लगे तो यह स्थिति ‘जेंडर डिस्फोरिया’ होती है और यह आभास पूरी तरह प्राकृतिक होता है।
PIC CREDIT – Hindustan Times.
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