विकाराबाद टाउन इंस्पेक्टर जी रवि ने बताया, ‘‘रामुलू के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह वाहन किराए पर ले पाता, इसलिए उसने कविता के शव को एक हाथगाड़ी पर रखा और उसके साथ चलते हुए बीती दोपहर विकाराबाद पहुंच गया। इंस्पेक्टर ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों ने रामुलू को उसकी पत्नी के शव के पास रोते देखकर पुलिस को सूचित किया जिसके बाद एक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई और शव को रामुलू के पैतृक स्थान पहुंचाया गया।
ओडिशा के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी को अपनी पत्नी के शव को अपने कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा। उसे अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल सका था। इस वारदात के बाद पूरे देश में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे। इतना ही नहीं राज्य सरकार की भी काफी किरकिरी हुई थी।
इंस्पेक्टर ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों ने रामुलू को उसकी पत्नी के शव के पास रोते देखकर पुलिस को सूचित किया जिसके बाद एक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई और शव को रामुलू के पैतृक स्थान पहुंचाया गया। गौरतलब है कि अगस्त माह में पत्नी के शव को कंधे पर रखकर 12 किमी तक चलने वाले ओडिशा के दाना मांझी की खबर के बाद इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। दाना मांझी को कथित तौर पर एंबुलेस ना मिलने के कारण यह कदम उठाना पड़ा था।