ये राहत राशि केवल उन मामलों में दी जाती है, जहां मारा गया व्यक्ति आतंकवादी नहीं हो। बुरहान वानी के परिजनों को मुआवजा देने पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि यह सीधे तौर पर मुआवजे के नियमों का उल्लंघन है। 25 साल का खालिद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए कर रहा था। स्थानीय लोगों ने बताया कि सेना क्षेत्र में हिंसक प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले युवाओं को पकड़ने के लिए घर-घर में तलाशी ले रही थी, जिसका निवासियों ने विरोध किया था।
इस सूची में शब्बीर अहमद मांगू का नाम भी शामिल है जो एक अनुबंधित लेक्चरर था। झड़प में 30 वर्षीय मांगू की मौत हो गई थी। सेना ने घटना की जांच का आदेश देते हुए कहा था कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सेना की उत्तरी कमान के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा ने कहा था, ऐसी छापेमारी को बिलकुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह अनुचित है। इसका कोई भी समर्थन नहीं कर सकता और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।