पुलिस प्रशासन ने अलगाववादियों के मार्च को तो नाकाम बना दिया, लेकिन हिंसक घटनाएं, आजादी समर्थक जुलूस और जलसों का दौर बदस्तूर जारी रहा। सबसे ज्यादा हिंसा दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में हुई, जहां मात्रीगाम, किलोरा, हरमैन और बोनगाम में आजादी मार्च निकालने के प्रयास में हिंसक हुए लोगों को खदेड़ने के लिए सुरक्षाबलों को बल प्रयोग करना पड़ा। शोपियां में 30 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के पैतृक कसबे बिजबिहाड़ा और पजलपोरा में आजादी रैली समर्थकों ने सुरक्षाबलों पर जमकर पथराव किया। सुरक्षाबलों ने भी हालात पर काबू पाने के लिए बल प्रयोग किया। बिजबिहाड़ा में एसडीपीओ तनवीर अहमद समेत 13 सुरक्षाकर्मी और आठ प्रदर्शनकारी घायल हुए। कुलगाम में आजादी मार्च निकालने का प्रयास करने वाले लोगों को रोकने के प्रयास के दौरान लोगों ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया। जवाब में सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए उनपर आंसूगैस के गोले तथा पैलेट चलाए, जिसके नतीजे में दो दर्जन लोगों के घायल होने की सूचना है।
इसे भी पढ़िए-ये हैं कश्मीर का ‘जेम्स बॉन्ड’, मरवाए 200 से ज्यादा आतंकी
इस दौरान श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर वुसन-गांदरबल में आजादी समर्थक नारे लगाती भीड़ ने वहां से गुजर रहे आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के वाहनों को रोक लिया। भीड़ ने इन वाहनों पर पथराव करते हुए कुछ जवानों को तथाकथित तौर पर जबरन नीचे उतारने व उनके हथियार छीनने का प्रयास किया। इस पर जवानों ने आत्मरक्षा में गोली चला दी। इसमें एक युवक घायल हो गया। इससे हालात पूरी तरह बिगड़ गए और पूरे इलाके में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों में ¨हसक झड़पों का दौर शुरू हो गया, जिसमें देर शाम तक 15 लोग घायल हुए थे।
इसे भी पढ़िए-कश्मीर: सेना पर पत्थर फेंक रहे थे, मारे गए- पढ़िए पूरी खबर