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ना खुद के अपमानित होने का डर और ना ही मारपिटाई का डर.. जब दिल में हो दुनिया बदलने की जिद्द तो फिर कोई डर मायने नहीं रखता…जी हां ऐसे ही दुनिया बदलने की जिद पर उतारू हैं कोटा के रहने वाले डा. कुलवंत गौड़। कुलवंच गौड़ एक ऐसी शख्सियत हैं जो देश के दृष्टिहीनों को रोशनी देने के मिशन पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इन मिशन है कि देश में कोई भी दृष्टिहीन ना रह सके। इनके रास्ते में चाहे जो भी जोखिम क्यों ना आए..ये अडिग रहकर अपने मिशन पर आगे बढ़ते रहते हैं।
फिर भी चाहे सर्दी हो या बारिश ये रुकते नहीं हैं। अपने जुनून के चलते दो बार इनका एक्सीडेंट हो चुका है। कई बार एक कॉल आने पर इन्हें पारिवारिक समारोह के बीच से निकलना पड़ता है।

कुलवंत पिछले पांच सालों में 238 मृत लोगों के परिजनों से समझाइश कर नेत्रदान करवा चुके हैं। इन्हीं के प्रयासों से 310 कॉर्निया दृष्टिहीनों को लगाए जा चुके हैं। कुलवंत यूं तो होम्योपैथी डॉक्टर हैं, लेकिन अपनी प्रैक्टिस से ज्यादा इनका ध्यान आई डोनेशन पर रहता है। कुलवंत बताते हैं- पांच साल पहले मैं और मेरी पत्नी डॉ. संगीता रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। उसी दौरान एक दृष्टिहीन बालक प्लेटफार्म पर घूम रहा था। हम बातचीत में मशगूल थे। अचानक शोर उठा तो पता चला वह बच्चा ट्रेन से टकरा गया। उसके सिर पर चोट आई थी, उसकी वहीं मौत हो गई। उस घटना ने ऐसा असर डाला कि कुलवंत नेत्रदान अभियान से जुड़ गए। कोटा में ‘शाइन इंडिया’ फाउंडेशन बनाया और आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया। मृतक की आंख से कॉर्निया कैसे लिया जाता है, इसकी ट्रेनिंग ली। बाद में महेन्द्र यादव और टिंकू ओझा नाम के दो टेक्नीशियन भी कुलवंत के साथ जुड़ गए।
अगले स्लाइड में पढ़ें – डा. कुलवंत गौड़ के बुलंद हौसलों की गौरवगाथा
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