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डीसीपी मंजीता वंजारा ने बताया कि इस पूरे ऑपरेशन के दौरान खतरे के रिस्क को देखते हुए वह लगातार छापेमारी टीम के अधिकारियों के संपर्क में थीं। उन्होंने आगे कहा, करीब दो घंटे तक वहां रेकी करने के दौरान एक बार जुआरियों को उन पर शक जरूर हुआ लेकिन बुर्का पहने होने की वजह से वह उन्हें पहचान नहीं पाए।
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