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खौरा के सरकारी स्कूल में अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ शरण लेने वाली 54 वर्षीय शीलादेवी ने बताया कि ‘‘हम अपने घर वापस लौटना और अपनी फसल एवं मवेशियों की देखभाल करना चाहते हैं। लेकिन हम अपनी जान का खतरा मोल नहीं ले सकते, क्योंकि पता नहीं पाकिस्तानी सेना कब फिर से गोलाबारी शुरू कर दे।’’
राज्य सरकार ने बताया कि कई लोग दिन के वक्त अपने घरों को लौट जाते हैं, लेकिन रात के समय शिविरों में वापस लौट आते हैं।
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