बेटे वाले परिवारों को छोड़ना और अन्य खामियों पर अधिकारियों का ध्यान नहीं
अधिकारियों का कहना है कि इस कार्यक्रम में लैंगिक भेदभाव में निहित अन्य मुद्दों को हल नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए जिन परिवारों में लड़के हैं, वे आवेदन नहीं दे सकते हैं। ऐसे में उन परिवारों की लड़कियों को कोई लाभ नहीं मिलता है।
पुराने खार-सांताक्रूज बाल विकास परियोजना कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, “हमने ऐसे परिवार भी देखें हैं, जहां बेटे होने पर भी बेटियों के साथ भेदभाव किया जाता।”
अगर दो लड़कियां हैं तो प्रोत्साहन राशि में कमी होती है। अगर एक लड़की को कक्षा 6 से कक्षा 12 तक माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए हर साल 3,000 रुपए मिलते हैं। वहीं अगर एक परिवार में दो लड़कियां हैं तो दोनों को हर साल 1,500 रुपए से ज्यादा नहीं मिल पाएगा।
22 फरवरी, 2017 को जारी स्पष्टीकरण संबंधी दिशानिर्देश इन समस्याओं का समाधान करने में विफल रहे हैं।
योजना की निगरानी के लिए फरवरी 2016 में दो अंतर-विभागीय समितियों का गठन किया गया था। महिला और बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता वाली स्टीयरिंग कमेटी, और आईसीडीएस आयुक्त द्वारा की जाने वाली कार्यकारी समिति। लेकिन इन दो अंतर-विभागीय समितियों में भी कोई तालमेल नहीं दिख रहा है।
महिला एवं बाल विकास विभाग और आईसीडीएस आयुक्त की ओर से 16 फरवरी और 27 फरवरी, 2017 को आरटीआई उत्तर के अनुसार, “इन समितियों की बैठकें नहीं होने के कारण विवरण को उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है।”































































