लगभग11 महीने पहले महाराष्ट्र में एक महत्वाकांक्षी योजना शुरु की गई है। इस योजना में परिवार नियोजन की जरूरत पर जोर है। साथ ही लड़कियों के लालन-पालन और उचित पोषण के लिए परिवारों और गांव परिषदों के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है। कुल मिलाकर यह योजना समाज में बालिकाओं की स्थिति को मजबूत करने की एक बड़ी कोशिश है, लेकिन इंडियास्पेंड की जांच में पता चला है कि सरकार की अधूरी प्रतिबद्धताओं से यह योजना ठीक से काम नहीं कर रही है । इससे लड़कियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दो महीने के भीतर प्राप्त हुए 38 उत्तर पता चलता है कि, नवीनतम सरकारी आंकड़ों में भारत के सबसे अमीर राज्य के 36 जिलों में ‘माझी कन्या भाग्यश्री योजना’ से किसी को लाभ मिलने की सूचना नहीं मिली है।
असफलता का मुख्य कारण योजना के वे मानदंड हो सकते है जिसे पूरा करना परिवारों के लिए कठिन या मुश्किल हो सकता है। जैसे कि सरकारी अधिकारियों को यह आश्वस्त करना कि जिस महिला को प्रोत्साहन राशि मिल रही है उनके बेटे नहीं हैं। साथ ही महिलाओं को परिवार नियोजन का प्रमाणपत्र जमा करना आवश्यक होता है। लेकिन संबंधित बीमा प्रीमियम का भुगतान करने और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस दिशा में प्रेरित करने में सरकार की असमर्थता से भी यह योजना बाधित हुई लगती है।
इस संबंध में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री, पंकजा मुंडे और राज्य मंत्री विद्या ठाकुर की टिप्पणी नहीं मिल पाई है। मुंडे का फोन लगातार बंद होने के कारण उनसे फोन पर बात नहीं पाई और न ही उनको भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब प्राप्त हुआ है। ठाकुर की ओर से भी हमारे द्वारा किए गए फोन और भेजे गए संदेश का कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है। जब हमने मुंडे के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी दादाभाऊ गुंजाल से बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि वह मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं है। अगर हमें कोई प्रतिक्रिया प्राप्त होती है तो हम अपने इस लेख को जरूर अपडेट करेंगे।
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