उन पर सबसे बड़ा आरोप है कि वे पैगंबर को भाई के रूप में संबोधित करते हैं और दूसरों को भी ऐसा ही कहने का जोर डालते हैं। कुरैशी ने बाटीवाला के भाषणों की ऑडियो क्लिप भी सबूत के रूप में पेश की। बाद में बाटीवाला को गिरफ्तार किया लेकिन फिर जमानत दे दी गई। उनके खिलाफ चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है। इसके बाद बाटीवाला ने हाईकोर्ट में याचिका दी और आरोपों को हटाने की अपील की। अपील में उन्होंने कहा कि जो शब्द बोले गए वे हदीस के संदर्भ में थे। हदीस में कहा गया है कि पैगंबर अपने अनुयायियों को भाई बताते हैं।
बाटीवाला की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि सभा में जब उन्होंने यह बयान दिया तो किसी ने आपत्ति नहीं की। सालभर बाद शिकायत दर्ज कराई गई और जो लोग सभा में मौजूद नहीं थे वे भावनाओं के आहत होने का दावा नहीं कर सकते। इस पर शिकायतकर्ता की ओर से एडवोकेट रफीक लोखंडवाला ने कहा कि पैगंबर खुद को दूसरो के समान बता सकते हैं लेकिन किसी व्यक्ति को यह तुलना करना अनुचित है। सुनवाई के बाद जस्टिस बीएन कारिया ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है इसलिए आरोपी को ट्रायल का सामना करना होगा।