अम्रीका का परिवार गरीब है, मां पढ़ी-लिखी नहीं, 6 अन्य भाई-बहन हैं। मां सविता कहती हैं, ‘अगर बेटी को बांधकर नहीं रखूंगी तो वह भाग जाएगी, बस के नीचे आ जाएगी या उसका कहीं रेप हो सकता है।’ 48 साल की सविता अपने परिवार का गुजारा सब्जी बेजकर करती हैं, दिनभर में बमुश्किल 150 रुपए कमा पाती हैं। उनके दो बच्चे शादीशुदा हैं और एक बेटा शराबी है जो परिवार के पालन-पोषण में कोई योगदान नहीं देता।
सविता ने बताया कि बेटी के जन्म के समय वह बेहद खुश थीं, उन्होंने स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था, अमेरिका नाम रखा था। परिवार पढ़ा-लिखा नहीं था और नाम अपने-आप अम्रीका में बदल गया। 7 साल की उम्र में बेटी को दौरे पड़ने लगे और अस्पताल ले जाने पर पता चला कि अब 24 घंटे उसके साथ किसी को रहना होगा, बाकी बच्चों को भी मां की जरूरत थी इसलिए सविता ने उसका इलाज न करवाने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि सात साल पहले कैसे पति की मौत हो गई और उसके बाद से स्थितियां खराब होती चलीं गईं।
मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए ट्रैवल में छूट से लेकर हेल्थ इंश्योंरेंस तक, राज्य और केंद्र सरकार की 11 स्कीम्स हैं, लेकिन सविता को किसी स्कीम की जानकारी नहीं। केंद्र सरकार की निरामय स्कीम के तहत 250 रुपए के सालाना प्रीमियम पर एक लाख रुपए के इंश्योंरेंस स्कीम, ऐसी स्कीम्स में से एक है, लेकिन सविता किसी स्कीम का फायदा न ले पाईं।
(खबर इनपुट- एनबीटी)