इस मुस्लिम परिवार के बिना अधूरी है जम्मू कश्मीर की रामलीला

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उन्होंने कहा, ‘‘लोग जानते हैं कि मैं मुसलमान हूं और वे खुली बांहों से मेरा स्वागत करते हैं क्योंकि उन्हें मेरी कला पसंद है । दशहरा पर्व सांप्रदायिक सौहार्द तथा भाईचारे का प्रतीक है ।’’ कलाकारों के मुखिया ने कहा, ‘‘हमारे द्वारा बनाए जाने वाले पुतले समूचे जम्मू क्षेत्र में कई दशहरा मैदानों में इस्तेमाल किए जाते हैं । लोग राजौरी, पुंछ, डोडा और किश्तवाड़ जैसे दूरस्थ क्षेत्रों से भी पुतलों का ऑर्डर देने आते हैं ।’’ गयासुद्दीन अपने समूचे परिवार और 40 कलाकारों के समूह के साथ पुतला बनाने के लिए एक महीने पहले जम्मू पहुंच जाते हैं ।

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उन्होंने कहा कि वह जम्मू क्षेत्र में लोगों से मिलने वाले प्रेम और स्नेह से प्रभावित हैं । जम्मू क्षेत्र में कई दशहरा समितियां गयासुद्दीन के पहुंचने का इंतजार करती हैं, ताकि वे पुतलों का ऑर्डर दे सकें ।

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