कश्मीरियों को मसूरी छोड़कर जाने के लिए कहा जा रहा है। इससे यहां रह रहे कश्मीरियों में काफी निराशा है। गुलाम मोहम्मद बेग ने 50 साल पहले श्रीनगर के नवा कदल जगह को अलविदा कहा था। उस वक्त उन्हें यकीन था कि कोई और जगह उनके गृहनगर जैसा नहीं हो सकता। हालांकि, बेग के परिवार ने फिर से जिंदगी की शुरुआत की और ओक के पेड़ों के नीचे एक कॉटेज बनाकर मसूरी में रहने लगे। इसी शहर में रहते हुए उनके परिवार ने जूलरी शॉप खोला। बुधवार की सुबह डर और पुरानी यादों को एक साथ लेकर आया। उन्होंने अखबार में पढ़ा कि कश्मीरी व्यापारियों को शहर छोड़कर चले जाने के लिए कहा जा रहा है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ‘जब पहली बार हमने अपना घर छोड़ा था तब भी कुछ आसान नहीं था और अब फिर यह आसान नहीं रहेगा। अब हम कहां जाएं?’ बेग कहते हैं कि मेरे जेहन में आज भी डल के पानी का संगीत और कश्मीर के सुंदर पहाड़ों की यादें ताजा हैं, लेकिन अब मसूरी ही मेरा घर है।
मंगलवार को मसूरी के व्यापारियों ने शहर में रह रहे कश्मीरियों से चले जाने को कहा। पुलिस ने 3 लड़कों को लंदूर के पास बूचड़खाने से 3 लड़कों को बीजेपी की शिकायत के बाद अरेस्ट किया। तीनों ही लड़के मुस्लिम हैं और उन पर आरोप है कि सोमवार देर रात सभी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे।
बेग के भाई अशरफ अब 62 साल के हो गए हैं। अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं, ‘हमारे लिए यह दूसरी बार दिल टूटना होगा। अब मसूरी ही लह जगह है जहां हमारी जड़ें जम रही हैं।’ बेग परिवार की तरह ही शहर में कई ऐसे परिवार हैं दशकों से यहां रह रहे हैं। स्थानीय व्यापारियों के इस फैसले से उन परिवारों में खौफ का माहौल है।
स्थानीय व्यापारी समुदाय ने ऐलान किया है कि कश्मीरियों को किराए पर दुकानें नहीं मिलेंगी और जो लोग पहले से ही यहां बिजनस कर रहे हैं उन्हें भी 2018 फरवरी तक अपनी शॉप बंद करनी होगी। वहीं, मसूरी ट्रेडर्स असोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल का कहना है, ‘जो कश्मीरी व्यापारी यहां सालों से काम कर रहे हैं उनसे व्यापार बंद करने के लिए नहीं कहा गया है। सिर्फ नए आए व्यापारियों के लिए ही यह आदेश है।’