अनपढ़ों के लिए वरदान है शिक्षण की ये नई शैली

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

पढ़ाई की यह नई रणनीति सबसे पहले 2005 में एक गैर लाभकारी संस्था ‘प्रथम’ द्वारा शुरु की गई थी। ‘प्रथम’ संस्था प्राथमिक शिक्षा में सुधार की दिशा में काम करती है। इसके बाद यह तरीका ‘एजुकेट गर्ल्स’ द्वारा अपनाया गया है। इसे ‘सही स्तर पर अध्यापन’ कहा जाता है।

इसे भी पढ़िए :  गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज: हॉस्पिटल को ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने वाला कंपनी मालिक गिरफ्तार

इंडियास्पेंड के मुताबिक, छात्र नई शिक्षा शैली अच्छी तरह से काम कर रही है। सिरोही जिले के लिए पूर्व सहायक जिला कार्यक्रम समन्वयक, कांतिलाल खत्री कहते हैं कि यह शैली शिक्षकों के लिए भी बेहतर रुप से काम रही है। 12 साल के अनुभव के साथ कांतिलाल ने ‘एजुकेट गर्ल’ के काम को करीब से देखा है।

इसे भी पढ़िए :  गोवा के बाद दिल्ली में टला विमान हादसा, बाल-बाल भिड़ने से बची इंडिगो और स्पाइस जेट की फ्लाइट

खत्री कहते हैं, ‘जब छात्र सीखने के लिए उत्सुक होते हैं तो शिक्षक का काम आसान हो जाता है। मैंने देखा है कि कैसे सीखने में रुचि होने से शिक्षकों, विशेष रुप से पिंडवाडा और अबू रोड (दोनों राजस्थान में) जैसे आदिवासी क्षेत्रों के स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों को मदद मिलती है। अक्सर देखा गया है कि ऐसे स्कूलों में छात्रों के विकास का स्तर कम होता है और शिक्षकों के पद खाली पड़े रहते हैं।’

इसे भी पढ़िए :  नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की हालत बिगड़ी

 

2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse