बिहार के महागठबंधन में कलह की खबरों के बीच राज्य के सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को खुलकर अपनी बात रखी। नीतीश ने महागठबंधन के भविष्य, राष्ट्रपति चुनाव, लालू की रैली में शामिल होने की अटकलों समेत विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी। हालांकि, इस दौरान कांग्रेस के प्रति उनकी बेरुखी एक बार फिर सामने आई और उन्होंने पार्टी की नीतियों पर सवाल खड़े किए। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने के बाद कांग्रेस के निशाने पर आए नीतीश ने रविवार को पार्टी पर जोरदार पलटवार किया था। नीतीश ने कहा था, ‘हम आंख मूंदकर किसी का पिछलग्गू नहीं बनेंगे, जो होना होगा वह होकर रहेगा। हमारा एक सिद्धांत है, हमारा सिद्धांत अटल है।’
नीतीश कुमार ने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में पीएम नरेंद्र मोदी और सत्ताधारी बीजेपी से निपटने के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष की रणनीति और उनकी राजनीति पर गंभीर सवाल खड़े किए। नीतीश ने कहा कि अगर 2019 के आम चुनाव में गंभीरतापूर्वक मुकाबला करना है तो रणनीति में पूरी तरह से बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा कि अभी कांग्रेस का ज्यादा जोर प्रतिक्रिया वाली राजनीति पर है, जबकि देश को वैकल्पिक विचारधारा की जरूरत है। नीतीश कुमार के मुताबिक, विपक्ष को न सिर्फ असली मुद्दों को उठाना चाहिए बल्कि उसपर अपनी राय और विजन भी पेश करना होगा।
नीतीश ने बिहार विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि वहां महज एनडीए के विरोध के लिए महागठबंधन नहीं बना था, बल्कि आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस ने आम लोगों के सामने गवर्नेंस का ब्लूप्रिंट भी रखा था। बिहार में महाठबंधन की सरकार को अटूट बताते हुए नीतीश ने कहा कि फिलहाल कोई संकट नहीं है। उन्होंने एक बार फिर खुद को 2019 में विपक्ष की ओर से पीएम उम्मीदवारी से अलग कर लिया। साथ ही कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लीड करना चाहिए। किसानों के मुद्दे पर आंदोलन से कांग्रेस के कथित तौर पर पीछे हटने और राष्ट्रपति चुनाव जैसे मुद्दों पर उसके बेहद मुखर होने को लेकर भी नीतीश बेहद नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि विपक्ष को किसान, गोरक्षा जैसे मुद्दों पर गंभीरतापूर्वक अजेंडा बनाकर लड़ना चाहिए।
अगले पेज पर पढ़िए- लालू की रैली में जाने पर क्या बोलें नीतीश?