कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वाणी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद जारी अशांति को देखते हुए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने पिछले महीने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को स्कूलों को महफूज रखने के लिए तौर तरीके खोजने का निर्देश दिया था। आपको बता दे, घाटी में जारी अशांति के दौर में स्कूल उपद्रवियों के निशाने पर हैं। पिछले तीन महीनों में 23 स्कूल जल कर ख़ाक हुए हैं।
जनसत्ता की खबर के मुताबिक, इसके जवाब में जम्मू-कश्मीर सरकार ने मंगलवार को हाई कोर्ट में कहा कि घाटी के हर एक स्कूल को सुरक्षा दे पाना असंभव है, हालांकि सरकार ने साफ किया कि स्कूल बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए एक व्यापक योजना तैयार की गई है। एडिशनल एडवोकेट जनरल बशीर अहमद दार कोर्ट को बताया, ‘घाटी में 15000 स्कूल हैं और हमने इन सभी को तीन कैटेगरी में बांट दिया है। यह कैटेगरी अतिसंवेदनशील, संवेदनशील और सामान्य है। इनमें से अधिकतर स्कूल घनी आबादी वाले इलाकों में है, जहां हर समय इंसानी सुरक्षा नहीं दी जा सकती।’
गौरतलब हो की, पिछले महीने कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक, संभागीय आयुक्त और कश्मीर के स्कूली शिक्षा निदेशक को अदालत की एक खंडपीठ ने निर्देश जारी किए थे और कहा था, ‘अदालत में मौजूद तीनों जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि उच्च अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के साथ बैठें और शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा के लिए प्रभावी तौर तरीकों पर विचार करें।’