महीनों तक चले सियासी उठापटक के बाद पेमा खांडू इस साल 16 जुलाई को राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने नबाम तुकी की जगह ली थी। अरुणाचल पिछले एक साल से ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है। हमेशा कुछ ऐसा हो जाता है, कि किसी न किसी को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ती है। इस साल जनवरी में तुकी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के बिखरने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। उस वक्त 19 विधायक बागी हो गए थे और कालिखो पुल ने बीजेपी की मदद से बहुमत साबित करने का दावा किया था क्योंकि वह खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। इसके बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के हक में फैसला दिया और विधायकों ने पेमा खांडू को नये मुख्यमंत्री के तौर पर चुन लिया। इसके बाद 9 अगस्त को कालिखो पुल ने खुदकुशी कर ली थी। कांग्रेस को दूसरा झटका सितंबर में लगा जब मुख्यमंत्री पेमा खांडू और स्पीकर तेनजिंग समेत 41 विधायक एक क्षेत्रीय पार्टी पीपीए में शामिल हो गए थे।