राजा का आदेश पत्थर पर लिखे लकीर के समान होता है। लिहाजा, दूसरे दिन आनन-फानन में अधिकारियों की इमरजेन्सी मीटिंग हुई, जिसमें आदेश को तामिल करने का निर्णय लिया गया। माथापच्ची और विचार-विमर्श के बाद अधिकारियों ने चिड़ियाघर को सुन्दर बनाने का एक ऑफीसियल प्लान और एस्टीमेट तैयार किया जिसमें लगभग 90 लाख रूपए का बजट रखा गया। सौन्दर्यीकरण के नाम पर प्लान के तहत चिड़ियाघर में में दो महीने से मिट्टी की अनावश्यक पगडन्डी बनाई जा रही है ताकि राजा के शॉपिंग मॉल से निकाली मिट्टी खपाई जा सके। राजा का पहरेदार बंटी, जिसके जिम्मे चिड़ियाघर के दोनों गेट पर गाड़ी पार्किंग का ठेका है, अपने मालिक के एवज में मिट्टी का भुगतान लेता है।
बहरहाल, पटना के चिड़ियाघर के निदेशक नन्दकुमार का दावा है कि रात भर हाइवा चलने से वन्य प्राणियों को कोइ तकलीफ नहीं हो रही है क्योंकि सारे वन्य जीव जूलॉजिकल जोन में रहते हैं जबकि नया ट्रेल बनाने का काम बॉटनिकल क्षेत्र में हो रहा है। वो कहते हैं ‘‘मुझे जानकारी नहीं है कि मिट्टी कहां से खरीद कर लायी जा रही है। इससे मुझे कुछ लेना-देना भी नहीं है’’। नंदकुमार आगे बताते हैं कि ‘‘करीब दो किलोमीटर की दूरी में पूरा कार्य हो रहा है। इसमें थीम बेस्ड गार्डेन डेवलप की जाएगी’’।
नंदकुमार के दावे को पूर्णतः खारिज करते हुए पटना जू के रिटायर्ड उप निदेशक प्रवीण कहते हैं कि ‘‘ वन्य जीव अधिनियम के तहत जू के अन्दर रात में कोई ऐसा कार्य नहीं किया जा सकता जिससे वन्य प्राणियों को परेशानी हो। रात में हाइवा चलवाकर उनके साथ घोर अन्याय किया जा रहा है। कोई देखने- सुनने वाला नहीं है। मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि किसको आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिये बिना मतलब के जू के अन्दर रात के अंधेरे में इतना मिट्टी गिराया जा रहा है’’।
साभार: जनसता डॉट कॉम