बता दें, 9 दिसंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि नोटबंदी के बाद पिछले एक महीने से लोगों को काफी दिक्कत और वित्तीय असुरक्षा हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और इसके लिए पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि उच्च मूल्य वाले नोट बंद करने के बाद परेशानियों से 90 लोगों की मौत हो चुकी है। बनर्जी ने बयान जारी कर कहा, ‘एक महीने से पीड़ा, दर्द, नाउम्मीदी, वित्तीय असुरक्षा और पूरी तरह अराजकता।’ उच्च मूल्य वाले नोटों को बंद करने के बाद इसके खिलाफ सबसे ज्यादा आवाज उठाने वाली बनर्जी ने कहा, ‘आठ नवंबर को नोटबंदी के काले निर्णय की घोषणा करने के बाद आम आदमी को यही सब हासिल हुआ है।’
इससे पहले बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछा था कि भाजपा के सांसदों और विधायकों को अपने बैंक खाते से लेन देन का नोटबंदी की अवधि के बाद का ही ब्योरा क्यों सौंपना चाहिए। यह राजग के सत्ता में आने के बाद से क्यों नहीं होना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘आठ नवंबर से ही खाते का ब्योरा क्यों होना चाहिए? केवल तीन हफ्ते। क्यों नहीं सारे ब्योरे ढाई साल के हो…? आपके 21 दिनों की नोट बंदी के बाद पूरा देश घरबंदी हो गया है, इसलिए यह तमाशा क्यों।’ ममता ने कहा था कि मोदी पहले अपने बैंक खाते की जानकारी क्यों नहीं सार्वजनिक करते। ममता बनर्जी ने यह बात लखनऊ में एक रैली को संबोधित करते हुई की थी।