टाटा संस और साइरस मिस्त्री के बीच चल रहे विवाद में अब नया मोड आ गया है। टाटा संस ने मिस्त्री पर नए चेयरमैन के लिए 2011 में गठित चयन समिति को गुमराह करने का आरोप लगाया है। मिस्त्री ने टाटा समूह के लिए योजनाओं पर बड़े-बड़े बयान दिए, लेकिन वादे के अनुरूप इसके लिए प्रभावी प्रबंधन ढांचा और योजना नहीं दी।
टाटा संस की ओर से दिए गए बयान में कहा गया कि मिस्त्री ने वादे के अनुरूप पारिवारिक उपक्रम शापोरजी पल्लोनजी से दूरी नहीं बनाई। मिस्त्री के प्रतिबद्धता से मुंह मोड़ने से ही निजी हितों से अछूते रह कर टाटा समूह का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को लेकर चिंता पैदा हुई। बयान में कहा गया कि लाभांश आय (टीसीएस को छोड़कर) में लगातार गिरावट आई। मिस्त्री के कार्यकाल में कर्मचारियों की लागत दोगुना से अधिक हो गई।
टाटा संसा ने यह भी कहा कि मिस्त्री ने धीरे धीरे सभी अधिकार और शक्तियां अपने वश में कर लीं और बड़े तरीके से समूह की कंपनियां के निदेशक मंडले में टाटा संस के प्रतिनिधित्व को हल्का किया। मिस्त्री ने उनको दी गई खुली छूट का लाभ उठाकर प्रबंधन ढांचे को कमजोर किया।