कहते हैं हर जगह कुर्सी की लड़ाई है, यारी दोस्ती कितनी भी गहरी क्यों ना हो कुर्सी से समझौता किसी को गंवारा नहीं। ये कुर्सी का ही तो किस्सा है जिसे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को एक भरी सभा में फजीहत झेलनी पड़ी। दरअसल लालू पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल ऑडिटोरियम में ब्रह्म कुमारी मिशन से जुड़े कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचे थे। यहां उनके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी बुलाया गया था। नीतीश से पहले मंच पर लालू पधारे और सीधे ही सीएम की कुर्सी पर विराजमान हो गए।
दरअसल हुआ यूं कि कार्यक्रम के आयोजकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों को निमंत्रण दिया गया। लालू यादव कार्यक्रम में नीतीश कुमार से पहले पहुंच गए और मंच पर एक कुर्सी पर जाकर बैठ गए। थोड़ी देर में आयोजकों ने जैसे ही बताया कि वो गलत कुर्सी पर बैठ गए हैं, लालू तुरंत बगल की कुर्सी पर जाकर बैठ गए। हालांकि ये पूरा मामला चंद सेकंड का था लेकिन राजैनतिक गलियारों में ये चर्चा का विषय बन गया। नीतीश इस कार्यक्रम में थोड़ी देर बाद आए और दोनों एक दूसरे के अगल बगल में बैठे।
निश्चित रूप से लालू यादव और उनके समर्थकों को ये पूरा मामला अच्छा नहीं लगा होगा लेकिन जानकर बताते हैं कि भले ही लालू यादव के पास नीतीश से ज्यादा विधायक हो और वोट का प्रतिशत भी नीतीश के जनता दल यूनाइटेड से ज्यादा हो लेकिन सचाई यही है कि जिसके ऊपर ताज होता है उसे सब चीजों में प्राथमिकता मिलती है।
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