दिलवालों की दिल्ली के लोगों के दिलों में इतना नफरत क्यों भरता जा रहा है? क्यों छोटी सी बात पर लोग एक दूसरे के खून के प्यासे होते जा रहे हैं? क्यों गलत करके भी लोगों को पछतावा नहीं होता? हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जो बेहद ही चिंताजनक है। कहीं किसी को खुले में पेशाब करने से रोकने पर निर्ममता से हत्या कर दी जाती है, तो कहीं नशा करने से रोकना जानलेवा बन जाता है। ऐसा क्यों हो रहा है? इसका जिम्मेदार कौन है, इसका दोष किसे दिया जाए? हम, आप, समाज, परिवार या फिर कानून की कमी ऐसे वारदात को बढ़ावा दे रहे हैं? आइए जानते हैं कि क्या है लोगों की राय और क्या कहते हैं मनोचिकित्सक….