मुलायम सिंह यादव ने एकबार फिर से अपने भाई शिवपाल यादव का खुलेआम पक्ष लिया है। यह पहला मौका नहीं है जब मुलायम ने बेटे के बजाए भाई का पक्ष लिया हो। इससे पहले इस साल 15 अगस्त के मौके पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की उपस्थिति में कहा था कि यदि शिवपाल पार्टी का साथ छोड़ देते हैं तो समाजवादी पार्टी बिखर जाएगी। हम थोड़ा और पीछे जाएं तो नवंबर 2013 में लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले मुलायम ने शिवपाल को रामगोपाल यादव पर तरजीह देते हुए चुनावों के लिए पार्टी की कमान उनके हाथ में ही सौंपी थी।
पार्टी की मंगलवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख का पद वापस ले लिया गया और यह फैसला किसी और का नहीं बल्कि पार्टी सुप्रीमो और उनके पिता मुलायम सिंह यादव का ही था। जवाब में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने चाचा और पार्टी के कद्दावर नेता शिवपाल सिंह यादव से सभी मंत्रालयों का प्रभार वापस ले लिया। इस मामले में पार्टी के पुराने नेताओं का कहना है कि कुछ भी हो जाए लेकिन, समाजवादी पार्टी को यदि 2017 में होने वाला विधानसभा चुनाव जीतना है तो मुलायम के पास शिवपाल का बचाव करने और उन पर निर्भर रहने के आलावा और कोई दूसरा आॅप्शन नहीं है। आखिर शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी और मुलायम के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?
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