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आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान हंगामे से नाराज भाजपा के वरिष्ठ नेता व सांसद लालकृष्ण आडवाणी और शांता कुमार ने हंगामा करने वाले सांसदों का वेतन काटने का सुझाव दिया था। हंगामे से दुखी होकर आडवाणी ने कहा था कि ‘सोचता हूं संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दूं।’
संसद में कामकाज नहीं होने की वजह से दुखी पांडा ने अपनी तरफ से बर्बादी की भरपाई करने की कोशिश की है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या पांडा की तरह अन्य राजनीतिक पार्टियां भी अपनी सैलरी लौटाएंगे?
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