पत्नियां करा रही थीं पति की जासूसी, पढ़िए फिर क्या हुआ

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क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा कि पकड़े गए आरोपियों ने कई मामलों में पतियों को फोन कर दिए और उनकी पत्नियों को असली CDR न देने के बदले में पतियों से भी मोटी रकम वसूली। पति और पत्नी, दोनों से पैसा कमाने के चक्कर में आरोपियों ने कई घरों में झगड़ा भी करवा दिया। इस अधिकारी का कहना है कि इन प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों का हालांकि कई बिजनेस घरानों ने दूसरे बिजनेस घराने की जासूसी के लिए भी इस्तेमाल किया गया और बहुत मोटी रकम भी दी गई लेकिन सभी CDR की जांच में जो निष्कर्ष सामने आया है, उसमें 60 प्रतिशत महिलाओं ने इन प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों की सेवा ली।

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यह पूरा केस तब ओपन हुआ था जब पिछले महीने सीनियर इंस्पेक्टर महेश देसाई, राजेश पडवी और नितिन पाटील की टीम ने लक्ष्मण ठाकुर और कितेश कवि को गिरफ्तार किया था। बाद में इस केस में शैलेश मांजरेकर और सौरभ साहू को पकड़ा गया। सौरभ दिल्ली का मूल निवासी है और एक वॉन्टेड आरोपी के जरिए राजस्थान के एक सब- इंस्पेक्टर व उत्तर भारत की कुछ अन्य जांच एजेंसियों के संपर्क में था। किसी का भी CDR किसी मोबाइल कंपनी के नोडल अधिकारी के जरिए मिलता है। नोडल अधिकारी यह CDR तभी दे सकता है जब उसके पास DCP या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी का ई-मेल या लेटर आए। यदि वर्तमान केस में किसी नोडल अधिकारी ने बिना DCP की परमिशन के किसी सब- इंस्पेक्टर या प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों को CDR दिए हैं तो मोबाइल कंपनी के नोडल अधिकारी की गिरफ्तारी भी तय है।

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