हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसमें 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है. अगर हम अनुकूलन की सावधानीपूर्वक प्रक्रिया से गुजरते हैं, तो इंसान लगभग 10 प्रतिशत ऑक्सीजन के साथ जीवित रह सकता है. इससे कम ऑक्सीजन मिलने पर शरीर ठीक से काम करना बंद कर देता है. अमरीका की इलिनोइस यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर थॉमस पार्क ने इन चूहों को एक पिंजरे में 5 प्रतिशत ऑक्सीजन में रखा. लेकिन पांच घंटे बाद भी उनमें असहजता के कोई लक्षण नहीं थे. उनको हैरानी तब हुई जब शून्य प्रतिशत ऑक्सीजन में भी वो 18 मिनट तक हिलते-डुलते रहे.
मॉलिक्यूलर मेडिसिन सेंटर, बर्लिन के जीव वैज्ञानिक येन रेज़निक का कहना है, “वो बिना किसी दिमाग़ी नुकसान के 18 मिनट तक ज़िंदा रहे.” हालांकि शोधकर्ता जानते थे कि ज़मीन के भीतर की तरफ रहने वाले इन स्तनधारियों को ऑक्सीजन मुश्किल से मिलती है, लेकिन इससे पहले उनकी इस क्षमता को लेकर कोई परीक्षण नहीं किया गया था. इस शोध का अगला क़दम ये पता लगाना होगा कि क्या इंसानों में भी ऐसी कोई छिपी हुई क्षमता है या नहीं.































































