नई दिल्ली : पार्टी के भीतर समर्थन मिलने के बाद सीएम अखिलेश यादव लगातार चौंकाने वाले कदम उठा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जल्दी ही कौमी एकता दल के सपा में हुए विलय को खारिज किया जा सकता है। साथ ही बाहुबली विधायक अतीक अहमद पर कार्रवाई की जा सकती है। वहीं, अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। आपको बता दें कि अखिलेश यादव इस विलय के सख्त खिलाफ थे। बाहुबलियों को टिकट देने के पक्ष में भी वह नहीं थे।
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में विधायकों और राष्ट्रीय कार्यकारिणी का समर्थन मिलने के बाद अखिलेश यादव उत्सााहित हैं। अब वह लगातार उन मुद्दों पर कार्रवाई कर रहे हैं, जिन पर उन्हें आपत्ति थी। अब जल्द ही उन बाहुबलियों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है जिन्हें शिवपाल यादव टिकट बांट चुके हैं। इस कड़ी में कौमी एकता दल, अतीक अहमद और अमरमणि के बेटे अमनमणि त्रिपाठी शामिल हैं। अंदरखाने की मानें तो सोमवार शाम तक या मंगलवार को कौमी एकता दल के सपा में हुए विलय को खारिज किया जा सकता है। जिसके तहत मुख्तार अंसारी के भाई सिबगतुल्ला का टिकट काटे जाने के आसार हैं।
दूसरी ओर कानपुर कैंट से टिकट पा चुके बाहुबली अतीक अहमद का टिकट काटने के साथ ही हाल के घटनाक्रम के तहत उनके गुर्गों पर सख्ती कार्रवाई की जा सकती है। हाल ही में उन्हें इलाहाबाद की एक डीम्ड यूनिवर्सिटी में अपने गुर्गों के साथ हंगामा करते देखा गया था।
सपा के घमासान के बीच इन दो मुस्लिम विधायकों के बयानों ने सियासी गर्मी भी पैदा कर दी है। इससे सपा को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। अतीक अहमद ने साफ-साफ कहा है कि अगर मुख्तार अंसारी और उन पर कोई कार्रवाई की जाती है तो इसका खामियाजा सपा को मुस्लिम वोट बैंक के नुकसान के रूप में उठाना पड़ेगा। यह बयान आने के बाद से सपा की सियासत और गर्मा गई है।
अतीक अहमद ने कहा कि वैसे तो उन्हेंक उम्मीद है कि सपा में पांच जनवरी तक सब कुछ ठीक होकर पहले जैसा चलने लगेगा। आज भी सपा के अधिकार मुलायम सिंह यादव के पास हैं। सबसे बढ़कर पार्टी का चिन्ह भी मुलायम सिंह के पास है। बावजूद इसके अगर सपा में कुछ ऐसा होता है कि हम पर और कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी पर कोई कार्रवाई होती है तो पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।
सीधे-सीधे सपा का मुस्लिम वोट प्रभावित हो जाएगा। सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ने के लिए यह जरूरी है कि हम सब मिलकर चुनाव लड़ें। वहीं कौमी एकता दल के पूर्व महासचिव अफजल अंसारी का कहना है कि अभी तो हम सपा के हालातों पर निगाह रखे हुए हैं। अभी हमने कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन जैसे ही सपा में कुछ भी ऐसा होता है तो हम अपने बारे में विचार जरूर करेंगे। अभी तो हम कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं।