दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की दबंगों पर निर्भरता वाली परंपरागत राजनीति से अपनी अलग तस्वीर पेश की है। हाल ही में कई सभाओं में अखिलेश यादव ने कहा था कि गठबंधन से एसपी को फायदा होगा और हमें 300 से ज्यादा सीटें भी मिल सकती हैं। हालांकि अब तक कांग्रेस के नेता गठबंधन को लेकर कुछ भी खोलकर बोलने से बचते रहे हैं, लेकिन यह जरूर कहते रहे हैं कि सेकुलर पार्टियां दबाव में हैं और उन्हें सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। यहां तक कि हाल ही में कांग्रेस की सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित ने भी कहा था कि गठबंधन की स्थिति में वह अखिलेश के लिए रास्ता छोड़ने के लिए तैयार हैं।
एसपी और कांग्रेस को उम्मीद है कि गठबंधन के जरिए वह मुस्लिमों के बीच एक मजबूत विकल्प के तौर पर जा सकेंगे। इससे बीएसपी की रणनीति की भी काट हो सकेगी, जिसने अब तक 97 मुस्लिम कैंडिडेट्स का ऐलान किया है। इसके अलावा 30 पर्सेंट वोट शेयर को भी अहम माना जा रहा है। 2014 के आम चुनाव में एसपी को 23 पर्सेंट वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस ने 7 पर्सेंट वोट पाए थे। यदि किसी गठबंधन या पार्टी को 30 फीसदी के करीब वोट मिलते हैं तो वह सरकार बनाने के करीब पहुंच सकता है।
2012 के विधानसभा चुनाव में एसपी ने 29.1 पर्सेंट वोट हासिल करते हुए 224 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने 11.7 पर्सेंट वोट शेयर के साथ 28 सीटों पर कब्जा जमाया था। यूपी में कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनाने में जुटे प्रशांत किशोर उत्तरांखड में भी पार्टी के लिए काम कर सकते हैं। इसके अलावा पंजाब में भी वह कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने कहा कि प्रशांत किशोर उत्तराखंड में पार्टी के सीनियर लीडर्स के साथ मिलकर चुनावी रणनीति पर काम करेंगे।