यूपी चुनाव का ऐलान होने के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत सहमति की ओर बढ़ती दिख रही है। सबको लग रहा है, कि इस बार यूपी में सरकार गठबंधन के साथ ही बनेगी। जिस तरह का कलह सपा में चल रहा है, उससे साफ हो गया है कि अब जो भी अखिलेश कहेंगे वही होगा। सूत्रों के मुताबिक अगले सप्ताह की शुरुआत में यूपी के सीएम अखिलेश यादव दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। इसके बाद गठबंधन का ऐलान किया जा सकता है। पिता मुलायम सिंह यादव के गुट के मुकाबले अखिलेश कैंप के भारी पड़ने के बाद कांग्रेस और एसपी के बीच गठबंधन की संभावनाएं बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि 9 जनवरी को अखिलेश यादव की मुलाकात राहुल से हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक एसपी और कांग्रेस के बीच इस गठबंधन में प्रियंका की राय भी ली जा सकती है। कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी की ओर से कांग्रेस को 90 से 105 सीटें दी जा सकती हैं। 7 चरणों में यूपी के चुनावों का ऐलान होने के बाद दोनों दलों के बीच करीबी बढ़ गई है। गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव ने प्रियंका गांधी से बात की है और राहुल के विदेश से लौटने के बाद इस पर बात हो सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि यदि समाजवादी पार्टी में मची रार नहीं थमती है तो कांग्रेस अखिलेश यादव के साथ जा सकती है। एसपी के ज्यादातर विधायक और एमएलसी अखिलेश यादव के समर्थन में हैं।
एसपी-कांग्रेस का मानना है कि गठबंधन के जरिए वे मुस्लिम वोटर्स को लुभा सकेंगे, जिन्हें लुभाने के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी प्रयास कर रही हैं। ऐसे में बीएसपी की रणनीति की काट के लिए एसपी-कांग्रेस एक साथ आना चाहते हैं। मायावती ने अब तक 401 कैंडिडेट्स घोषित किए हैं, जिनमें से 97 उम्मीदवार मुस्लिम हैं। किसी भी पार्टी की ओर से उतारे गए मुस्लिम उम्मीदवारों में यह संख्या सबसे ज्यादा है। इस गठबंधन से समाजवादी पार्टी के वोटर माने जाने वाले मुस्लिमों और यादवों के उसके समर्थन में एकजुट रहने की संभावना है। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि समाजवादी पार्टी के झगड़े के बाद इनके कितने वोट उनके साथ होंगे।