लखनऊ : पिछले विधानसभा चुनाव में न्यूनतम वोट व सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना पुराना मुस्लिम वोट बैंक लौट आने की उम्मीद है। मुस्लिमों को रिझाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने उन्हें संगठन में तरजीह देने के साथ उनसे जुड़े मुद्दों को जोरशोर से उठाने की रणनीति तय की है।
कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया जारी है। सदस्यता सूची तैयार करने के कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सितंबर के अंत तक प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव प्रस्तावित है। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व किसी ब्राह्मण नेता को प्रदेश की कमान सौंपने के साथ ही प्रमुख मुस्लिम नेताओं को तरजीह देने का मन बना चुका है।
यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके के फार्मूले में ब्राह्मण व मुस्लिम वोटों की वापसी के लिए रोडमैप तैयार किया गया था। ब्राह्मण चेहरे के रूप में शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाने के साथ मुस्लिम नेतृत्व के तौर पर इमरान मसूद, सलमान खुर्शीद, युसूफ कुरैशी व सिराज मेंहदी जैसे नामों को तरजीह दी गई। यह अलग बात रही कि सपा से गठबंधन होने के बाद प्रशांत किशोर उर्फ पीके द्वारा प्रदेश में 27 साल की कांग्रेस की बदहाली दूर करने के दावे की हवा निकल गई।
विधान परिषद दल में कांग्रेस के पूर्व दल नेता नेता नसीब पठान का कहना है कि मुस्लिमों का कांग्रेस से अलग होना उनके लिए भी नुकसानदेह साबित हुआ। मुस्लिमों में एक बड़ा वर्ग कांग्रेस के साथ खड़ा होने को तैयार है।
नए चेहरों की तलाश : पुराने मुस्लिम नेताओं को फिर से आजमाने के बजाय नए चेहरों की तलाश है। इसमें इमरान मसूद, नदीम जावेद और युसूफ कुरैशी जैसे लगभग आधा दर्जन नाम चर्चा में है। इसमें इमरान मसूद सहारनपुर जिले में कांग्रेस के पक्ष में बेहतर प्रदर्शन करा कर अपनी पकड़ का एहसास भी करा चुके हैं। वरिष्ठ नेता डा. जमाल कहते हैं कि दिल्ली में भाजपा को कमजोर करना है तो मुस्लिमों को कांग्रेस को मजबूती देनी होगी, इसलिए लोकसभा चुनाव में इस बार मुसलमान रणनीतिक मतदान करेगा।
रोजा इफ्तार : कांग्रेस का रोजा इफ्तार 22 जून को आयोजित किया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक व पूर्व विधायक हाजी सिराज मेंहदी ने बताया कि गुलाम नबी आजाद, राजबब्बर, श्रीप्रकाश जायसवाल और मोहसिना किदवई जैसे नेता शामिल होंगे।