नोटबंदी के हालात से डरी बीजेपी, यूपी में तलाशेगी नया मुद्दा

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नोटबंदी
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नोटबंदी के तकलीफदेह सच ने यूपी में बीजेपी को अंदर से डरा दिया है, इसलिए बीजेपी अपने प्रचार कैंपेन को वापस सपा सरकार की कानून व्यवस्था, अपराध, सपा परिवार के सिरफुटौवल पर केन्द्रित करने वाली है। सूत्रों की माने तो भाषणों में नोटबंदी का जिक्र रहेगा, पर बीजेपी कैंपेन में मुख्य रूप से सपा परिवार का कुशासन, सिरफुटौवल और डर के राज पर जोर रहेगा। नोटबंदी के असर के हिसाब से उससे धीरे-धीरे पीछा छुड़ाया जाएगा।

बीजेपी की फिल्म
बीजेपी ने अपने कैंपेन में एक फि‍ल्म उतारी है, जो छोटे गांव-शहरों में वीडियो वैन के जरिये दिखाई जा रही है, जिसमें एक युवा महिला कहती है, “डर हमेशा बना रहता है”। यानी अखिलेश-मुलायम के राज में वे महफूज नहीं हैं और मायावती के राज में भी डर बना रहता था, इसलिए एक दूसरा व्यक्ति कहता है, “यूपी का बंटाधार, यूपी में नील बट्टे सन्नाटा है”।बीजेपी की राज्यभर में 2000 से ज्यादा लगने वाली होड्रिंग पर लिखा होगा, “अब नहीं सहेंगे। सपा-बसपा को बहुत सह लिया अब नही सहेंगे” लेकिन इन प्रचार कैंपेन में नोटबंदी गायब है। अगर है, तो इस स्लो गन में “साथ आएं, परिवर्तन लाएं”

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पहले आया विकास का एजेंडा
12 जून को इलाहाबाद में यूपी चुनाव कैंपेन की शुरुआत करते हुए बीजेपी कार्यसमिति में प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष का दिया गया भाषण। प्रधानमंत्री के भाषण का सार था, यूपी की बदहाली, भय और भ्रष्टााचार का राज और विकास का एजेंडा। प्रधानमंत्री ने कहा कि 50 साल में जितने काम नहीं हुए हैं, वो पांच साल में कर दिखाएंगे। उन्हें दुख होता है कि यूपी के गांव में बिजली नहीं है, लेकिन अब केन्द्र सरकार की स्कीम के कारण महज 177 गांव बचे हैं, जहां बिजली पहुंचानी बाकी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सपा सरकार के कानून-व्यवस्था की लचर हालात के चित्रण के लिए कैराना और मथुरा का जिक्र किया और बीजेपी शासित राज्यों की तुलना यूपी से की। तकरीबन 3 महीने बीजेपी का चुनावी कथानक इसके इर्द-गिर्द घूमता रहा।
सर्जिकल स्ट्राइक का कथानक
बीजेपी का विकास पर केन्द्रित तीन महीने का चुनावी कैंपेन सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एकदम बदल गया। निर्णायक सरकार की इमेज और आतंकवाद के रावण पर विजय की कहानी बीजेपी प्रचार कैंपेन का मुख्य थीम बन गया। मजबूत, देशभक्त, निर्णायक मोदी सरकार की इमेज का कोई काट सपा-बसपा को सूझ नहीं रहा था और बीजेपी ने लोगों का मूड स्विंग करने में काफी सफलता पाई।
जातियों के मकड़जाल में फंसी बीजेपी को कैंपेन को जाति से ऊपर उठाने में काफी मदद मिली। लेकिन डेढ़ महीने बाद एक बार फिर कथानक बदला। सर्जिकल स्ट्राइक की जगह नोटबंदी ने ले ली।

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