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इस चरण का सबसे अहम सवाल अयोध्या की कुर्सी का है। 2012 में एसपी के तेज नारायण उर्फ पवन पांडेय इस सीट को 21 साल बाद बीजेपी से छीनने में सफल रहे थे। मंत्रिमंडल से बाहर-अंदर होते रहे पवन पांडेय एमएलसी आशु मलिक से मारपीट के आरोप में एसपी से बर्खास्त भी किए गए थे। हालांकि अखिलेश का वरदहस्त होने के चलते मंत्री पद व टिकट दोनों बरकरार है। इस सीट पर दिलचस्प पहलू यह भी है कि 1980 के बाद पहली बार मुख्यधारा की किसी पार्टी ने यहां मुस्लिम को उम्मीदवार बनाया है।
बीएसपी से बज्मी सिद्दीकी प्रत्याशी हैं। बीजेपी एक बार फिर इस सीट को जीतकर मनोवैज्ञानिक बढ़त की कोशिश में रहेगी। ध्रुवीकरण के आरोपों के बीच पीएम मोदी श्मशान और कब्रिस्तान के जरिए भेदभाव के सवाल मंच से उठा चुके हैं। लिहाजा अयोध्या का मूड बहुत कुछ तय करेगा।
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