मायावती चलेगी मुलायम की राह, मुस्लिम वोट पाने के लिए करेगी हर संभव कोशिश

0
2 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse

मायावती ने मुख्तार की कौमी एकता दल का विलय अपनी पार्टी में करने के साथ ही उनके 3 उम्मीदवारों को मैदान में भी उतार दिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिलों में मुस्लिम वोटरों पर आंखें गड़ाए मायावती ने मुख्तार को मऊ से, उनके बेटे अब्बास को घोषी से तथा बड़े भाई सिगबतुल्लाह को मोहम्मदपुर से प्रत्याशी बनाया है।

इसे भी पढ़िए :  'नोटबंदी से बर्बाद हुआ मायावती का पैसा'

2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों तथा 2012 के विधानसभा चुनावों में मिली लगातार हार के बाद मायावती को अच्छे से पता है कि 2017 का चुनाव जीतना उनकी पार्टी तथा ‘दलित मिशन’ के लिए कितना जरूरी है। अपनी चुनावी सभा में वह लगातार अपने दंगा रहित कार्यकाल का हवाला दे रही हैं।

इसे भी पढ़िए :  मौर्या के बाद पासवान ने भी मायावती पर लगाया टिकट बेचने का आरोप

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली और अलीगढ़ जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में रैली के दौरान मायावती ने समाजवादी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 5 वर्षों में 500 से अधिक दंगे हुए। इसके साथ ही उन्होंने खुद को मुस्लिम समुदाय के लिए ‘सुरक्षित विकल्प’ भी करार दिया।

कांशीराम द्वारा शुरु किए गए BAMCEF अभियान की उपज बीएसपी पार्टी की प्रमुख रहते हुए 2007 से 2012 के अपने कार्यकाल में सत्ता में आईं मायावती ने अल्पसंख्यकों के लिए बहुत कम लाभकारी योजनाओं की शुरुआत की थी। इसके बजाय उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग के तहत ब्राह्मणों को साथ लेने का प्रयोग किया था, जिसका सकारात्मक परिणाम भी हासिल हुआ।

इसे भी पढ़िए :  काशी में रोड शो खत्म कर जौनपुर पहुंचे पीएम मोदी
2 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse