सत्ता में वापसी की कोशिश में लगीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती इस बार के विधानसभा चुनावों के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ रही हैं। उन्होंने मूर्तियों को छोड़ लोगों के हित में काम करने का मन बना लिया है। इतना ही नहीं अब वह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की ही राह पकड़ती नजर आ रही हैं। दलित वोट बैंक में बढ़ोत्तरी के लिए मुस्लिमों का समर्थन पाने को आतुर मायावती अपने मुख्य प्रतिद्वंदी जैसा ही ‘मुलायम राग’ अलाप रही हैं।
वर्ष 1989 में पहली बार सीएम बनने पर सपा पितामह को ‘मौलाना मुलायम’ का तमगा मिला था। मुलायम को यह उपाधि उनके प्रो-मुस्लिम कार्यों के लिए मिला था। इस बार सपा परिवार में उपजे कलह के बाद मायावती को मुस्लिम वोटों में सेंधमारी की उम्मीद नजर आ रही है। उन्होने सत्तारूढ़ पार्टी का कंट्रोल ‘नेताजी’ के हाथ से निकल कर अखिलेश के हाथों में जाने पर तंज कसते हुए सपा को कमजोर संगठन करार दिया था।
मायावती, खुद को मुसलमानों के हितों का सबसे मजबूत संरक्षक होने का दावा भी कर चुकी है। अपने इस दावे को पुख्ता करने के लिए उन्होंने इस बार यूपी में 99 मुस्लिम प्रत्याशी भी उतारे हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर भी हमलावर रुख अख्तियार किया हुआ है। मुसलमानों का साथ पाने के लिए मायावती ने माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी को भी अपने खेमे में शामिल करने से गुरेज नहीं किया। गौरतलब है कि सीएम अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल की तमाम कोशिशों के बावजूद इसी मुख्तार अंसारी को साथ में लेने से इंकार कर दिया था।