23 साल के आकाश लंदन से एमबीए की डिग्री लेकर लौटे हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं के मुताबिक आकाश चीजों को बहुत जल्दी समझ रहे हैं. 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के दिन आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने के बाद मायावती ने आकाश को भी पार्टी में शामिल कराया. उन्होंने कहा कि यह भी पार्टी का काम देखेगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो मायावती पार्टी में दलित वोट बैंक को सहेजे रखने के लिए आकाश को राजनीति की एबीसीडी सिखा रही हैं.
मायावती भाई आनद को पार्टी में दूसरा सबसे प्रभावशाली पद देकर और भतीजे आकाश को राजनीति में लाकर एक तीर से दो निशाना साध रही हैं. मायावती आकश और आनंद के जरिए पार्टी में उठने वाले उस आवाज को शांत कर रही हैं जिसमें बार-बार आरोप लगता रहा है कि कोई युवा चेहरा पार्टी के पास नहीं है. इसके अलावा किसी बाहरी को पार्टी की कमान सौंपने से बचने की भी कोशिश है. हालांकि यह जरुर है कि एक बार फिर पार्टी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगेगा, लेकिन जिस तरह से सहारनपुर हिंसा में भीम आर्मी के अध्यक्ष चद्रशेखर का चेहरा सामने आया है उससे मायावती को कहीं न कहीं दलित वोट बैंक खिसकने का भी खतरा उत्पन्न होता दिख रहा है. लिहाजा आकाश और आनंद के जरिए वे एक बार फिर दलित वोट बैंक की राजनीति से सत्ता हासिल करने जुगत में हैं.