विशेषज्ञों का मानना है कि योगी को UP की कमान सौंपकर BJP अगले लोकसभा चुनाव के पहले हिंदु मतों के ध्रुवीकरण की फिराक में है। हिंदुत्ववादी विचारधारा BJP की सफल चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा रही है। यहां तक कि आज की तारीख में BJP के सबसे लोकप्रिय चेहरे नरेंद्र मोदी पर भी UP चुनाव के दौरान वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगा। ‘श्मशान बनाम क्रबिस्तान’ का उनका बयान हो, या फिर ‘ईद में बिजली मिलती है, तो दिवाली पर भी बिजली आनी चाहिए’ जैसा बयान, PM लोगों के दिमाग में यह बैठाने की कोशिश करते दिखे कि समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार धार्मिक और जातीय आधार पर जनता के बीच भेदभाव करती है।
ध्रुवीकरण की कोशिश करने का आरोप तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर भी लगा। शाह ने अपने चुनावी भाषणों के दौरान कई बाद वादा किया कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार बनती है, तो अवैध बूचड़खानों को बंद करा दिया जाएगा। साथ ही, ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड बनाने का उनका वादा भी इसी कोशिश का हिस्सा था। लोगों ने ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड में छुपे ‘लव जिहाद’ को बखूबी समझा और शायद यही शाह की रणनीति भी थी।
BJP ने UP चुनाव के समय प्रदेश का पिछड़ापन, बेरोजगारी, कानू-व्यवस्था की बदहाली और किसानों की समस्या जैसे मुद्दों पर भी बात की, लेकिन उनका सबसे बड़ा अजेंडा तो बिना शक यही सांप्रदायिकता थी। योगी के चुनाव की घोषणा के साथ ही UP में विकास और इससे जुड़े तमाम मुद्दे पीछे छूट गए दिखते हैं। साफ है कि BJP के लिए इस समय हिंदुत्व सबसे बड़ा अजेंडा है। बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुन लिए जाने के बाद यह आशंका मजबूत होती जा रही है कि पार्टी ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे वादों से पीछे हट सकती है।