अखिलेश के करीबी सहयोगी ने यह भी कहा, ‘अखिलेश हमेशा से यही चाहते हैं कि वह अपने पिता के आशीर्वाद से ही आगे बढ़ें और 2017 के चुनाव में फिर सत्ता हासिल करें, पर साथ ही उन्होंने यह भी तय किया हुआ है कि उन्हें मुलायम के इर्द गिर्द मौजूद मण्डली को एक्सपोज भी ककरना है, लेकिन नेताजी उन लोगों को छोड़ने को राजी नहीं हैं जिन्होंने अखिलेश के खिलाफ उनके दिमाग में जहर भर दिया है। ऐसे में अखिलेश के पास बागी होने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है। अखिलेश की पत्नी डिंपल पूरी सक्रियता से साथ उनको सपॉर्ट कर रही हैं।’
अखिलेश के रणनीतिकार स्टीव जार्डिंग की टीम द्वारा जुटाए गए फीडबैक और ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर अखिलेश को यकीन है कि उनके विकास के विजन ने पूरे प्रदेश में अच्छा असर छोड़ा है।
एक सहयोगी के मुताबिक, अखिलेश को यह भी लगता है कि चाचा शिवपाल से अलग होने का फायदा उन्हें चुनाव में जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘वह चुनावी समर में उस बागी छवि के साथ जाना चाहते हैं जो भ्रष्टाचार और अपराधीकरण के खिलाफ है। वह पहले अपनी पार्टी के अंदर बदलाव लाना चाहता था, पर जब यह संभव नहीं हुआ तो उन्होंने बागी होना मंजूर किया।’