चुनाव सिर पर हैं और समाजवादी पार्टी का झगड़ा अभी तक सुलझ नहीं पाया है। हर कोई अपनी तरफ से कोशिश कर रहा है, कि उनके झगड़े को सुलझाया जा सके लेकिन कोई अपनी बात से पीछे हटने को राजी ही नहीं है। मुलायम भले अखिलेश के प्रति नरम दिख रहे हों, पर अखिलेश अपनी शर्तों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में चुनाव में नामांकन की तारीख नजदीक आने के साथ, यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब ‘एकला चलो रे’ की तर्ज पर आगे बढ़ने का मन बना लिया है, चाहे इसके लिए उन्हें बागी ही क्यों न कहलाना पड़े।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक अखिलेश खेमे ने चुनाव प्रचार का पूरा प्लान तैयार कर लिया है और अब सिर्फ 13 जनवरी का इंतजार किया जा रहा है, जब चुनाव आयोग यह फैसला सुनाएगा कि साइकल चुनाव चिह्न पर किसका अधिकार है। अखिलेश के एक करीबी विश्वासपात्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘साइकल या मोटरसाइकल चुनाव चिह्न चाहे जो भी हो, चुनाव प्रचार की सामग्री तैयार है।’ उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अखिलेश खुद टीवी, अखबार और यहां तक कि सोशल मीडिया पर प्रचार की रणनीति खुद ही बना रहे हैं और उसे फाइनल भी वही करेंगे।
अखिलेश के एक अन्य सहयोगी ने बताया, ‘परिवार में चल रहे विवाद की वजह से अखिलेश के चुनावी रथ अभियान को बीच में ही रोकना पड़ा था। चुनाव चिह्न बदलने की स्थिति में, उनके रथ में कुछ छोटे बदलाव किए जाएंगे। अगर कांग्रेस से चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हो पाता है, तो प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार का एक वैकल्पिक प्लान भी तैयार कर लिया गया है। चुनाव आयोग के फैसले के अलावा, अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव से भी आखिरी बार बातचीत करना चाहते हैं। उन्हें भरोसा है कि मुलायम उन्हें पार्टी चलाने के लिए तीन महीने का समय दे देंगे।’