उत्तराखंड में बीजेपी ने 70 सीटों के लिए अपने उम्मीद्वारों में से लगभग एक दर्जन पर पूर्व कांग्रेसी नेताओं को मैदान में उतारा है। इसी कड़ी में केदारनाथ से बीजेपी ने वर्तमान विधायक और पूर्व कांग्रेसी शैला रानी रावत को टिकट दिया है। एक समय था जब केदारनाथ आपदा के बाद बीजेपी ने रावत पर जनता के साथ खड़े ना होने का आरोप लगाया था। इस आपदा के मुद्दे पर बीजेपी ने शैला रानी की काफी आलोचना की थी। लेकिन अब उन्हें ही चुनावी समय में अपना प्रत्याशी बना दिया। बीजेपी के एक अंदरुनी सर्वे के अनुसार माहौल शैला रानी के पक्ष में नहीं हैं लेकिन जैसा कि कांग्रेस के एक बागी नेता ने बताया, ”अमित शाह ने पिछले साल ही हमें टिकट का वादा कर दिया था। उन्होंने अपना वादा निभाया।”
गढ़वाल क्षेत्र की 20 विधानसभाओं का दौरा करने से पता चलता है कि कांग्रेसी बागियों को बीजेपी का टिकट मिलने से एंटी इन्कमबेंसी का माहौल बदल गया है। गौरी कुंड के एक दुकानदार गोविंद राम ने बताया, ”हमें उन्हें(शैलारानी रावत) को हराना चाहते थे लेकिन अब हम क्या करें?” इस बात को लेकर भाजपा में भी असंतोष है। कांग्रेस से आए नेताओं को टिकट देने के विरोध में लगभग आधा दर्जन भाजपा नेताओं ने इस्तीफे दे दिए हैं। इनमें कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं। आशा नौटियाल जो कि केदारनाथ से विधायक रह चुकी हैं, वह इस बार निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। पूर्व कांग्रेसी मंत्री यशपाल आर्य को टिकट देने के बाद एक अन्य पूर्व विधायक वीना महाराणा ने भी इस्तीसफा दे दिया। उन्होंने कहा, ”पार्टी अंदरुनी सर्वे की बात करती है लेकिन दागी नेता को कुछ घंटों के अंदर टिकट दे दिया गया।
यहां तक कि भाजपा के टिकट के लिए भी कांग्रेस के बागियों में प्रतिस्पर्धा थी। पूर्व मंत्री हरदक सिंह रावत चौबट्टकल से लड़ना चाहते थे लेकिन यहां से सतपाल महाराज को खड़ा किया गया है। सतपाल महाराज भी कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। रोचक बात है कि सतपाल महाराज को टिकट देने के लिए पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष तीरथ सिंह रावत का पत्ता काट दिया गया। ऐसा नहीं है कि भाजपा ने ही बागियों को टिकट दिया हो, कांग्रेस ने भी ऐसा किया है। उसने भाजपा के तीन पूर्व विधायकों को मैदान में उतारा है। उत्तराखंड में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे लड़ रही है।