नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश में सपा में मचे घमासान की तरफ़ सबकी निगाहें है। लेकिन एक घमासान उत्तराखंड में भी मचा हुआ है। ये घमासान मचा है कांग्रेस के अंदर। और सपा की तरह इस दंगल का भी अंत नहीं सूझ रहा है। उत्तराखण्ड में टिकटों को लेकर दो बड़े नेताओं में ऐसा शीत युद्ध छिड़ा है कि आफ कुछ देर के लिए मुलायम कथा को भी भूल जाएंगे।
दिलचस्प बात यह है कि इस शीत युद्ध के अंपायर चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि देश के राजकुमार राहुल गाँधी हैं। दरअसल झगड़ा राजकुमार के सेनापति किशोर उपाध्याय और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत में छिड़ा है। दोनों ही अपनी अपनी ज़िदों में अड़े हुये हैं। दिल्ली में हो रही लगातार बैठकों के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है। रविवार को हुई बातचीत में भी तक़रीबन 10 सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपने कुछ साथियों को टिकट दिलाने पर अड़े हुए हैं वहीं मुख्यमंत्री हरीश रावत भी उनकी एक मानने को तैयार नहीं हैं।
सूत्रों के मुताबिक़ हरीश रावत और किशोर उपाध्याय में बीते दिनों 15 रक़ाबगंज यानी कांग्रेस के वार रूम में हुई बैठक में कोई समझौता नहीं हो पाया है। उस बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा, अंबिका सोनी समेत कई लोग मौजूद थे। वह मीटिंग तक़रीबन 7 घंटे से ज़्यादा चली। रात तक़रीबन 12:30 बजे मीटिंग से सबसे पहले कुमारी शैलजा बाहर आती है और उनके पीछे सीएम हरीश रावत। जिसके 20 से 25 मिनट बाद वहां से पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय बाहर आते हैं। उसके बाद दोनो ही उत्तराखण्ड सदन की ओर निकल गए। जहां किशोर उपाध्याय और मुख्यमंत्री हरीश रावत तीसरे माले में काफी देर तक बातचीत हुई और फिर सीएम रात 3 बजे तक लोगों से मिलते रहे। कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि हरीश रावत ने सांकेतिक तौर पर यह भी कहा है कि जब मैने पूरी लड़ाई लड़ी है तो मुझे यह चुनाव अपने तरीके से लड़ने दें अन्यथा सबके पास विकल्प हैं।
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