रूस ने हालांकि अमेरिकी हमले के दौरान अपने ऐंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों को सक्रिय नहीं किया, लेकिन अपना गुस्सा जताकर उसने साफ कर दिया है कि अब असद सरकार पर किए गए किसी भी हमले पर वह चुप नहीं बैठेगा। एक रक्षा विशेषज्ञ ने बताया, ‘व्लादीमिर पुतिन की पहचान बेहद सख्त राष्ट्राध्यक्ष की है। वह अपने दोस्तों के साथ खड़े रहते हैं। अगर अमेरिका ने अब असद की सेना पर हमला किया, तो रूस चुप नहीं बैठ सकता है। ट्रंप प्रशासन को इस मामले में बेहद सर्तकता बरतनी चाहिए।’ मालूम हो कि असद सरकार के पास 26 ऐसे एयरबेस हैं, जिन्हें वह विरोधी गुट और नागरिकों के खिलाफ हमले करने के लिए इस्तेमाल करती है।
रूस की ओर से ट्रंप पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। क्रेमलिन ने ट्रंप पर अपने चुनावी वादों से मुकरने का आरोप लगाया। चुनाव के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह सीरिया में रूस के साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने के पक्षधर हैं। रूस के प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, ‘ट्रंप प्रशासन ने यह दिखाया है कि इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसे दुश्मन के खिलाफ मिलकर लड़ने की जगह वह कानूनी तौर पर वैध सीरिया की असद सरकार से जंग लड़ने में ज्यादा दिलचस्पी रखता है।’