विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि चीन का फैसला हैरत में डालने वाला है क्योंकि वह खुद आतंकवाद का कहर झेल रहा है। उसके ताजा फैसले के कारण प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के नेता के खिलाफ कार्रवाई से यूएन काउंसिल को रोका गया है।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि चीन उन खतरों को अच्छी तरह समझेगा, जो आतंकवाद के कारण सामने आते हैं और इस साझा चुनौती से निपटने के लिए भारत और दूसरे देशों का साथ देगा।
स्वरूप ने कहा कि सारी दुनिया को पता है कि जैश पठानकोट समेत भारत में हुए कई आतंकवादी हमलों का जिम्मेदार है और यूएन की लिस्ट में प्रतिबंधित है। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संगठन के मुखिया को प्रतिबंधों की सूची में शामिल कराने में नाकाम रहता है तो यह उन प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण झटका होगा, जिनके तहत आतंकवाद का मुकाबला करने के जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं।