भारत और चीन ने 2005 में सीमा मसले के हल के लिए राजनीतिक निर्देशक सिद्धांत घोषित किए थे। इसके अनुरूप दोनों देश सीमा मसले के हल के लिए एक-दूसरे की बसी हुई आबादी और रिहायशी इलाकों की भावनाओं के अनुरूप ही बातचीत करेंगे। तब भारत की ओर से यह सोचा गया था कि चूंकि तवांग के इलाके में भारत समर्थक आबादी रहती है और वे कभी भी तिब्बत में नहीं शामिल होना चाहेंगे, इसलिए तवांग को लेकर भारत को कोई सौदेबाजी नहीं करनी होगी।
भारत और चीन के बीच चार हजार किलोमीटर से अधिक लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा तीन सेक्टरों पूर्वी, मध्य और पश्चिमी सेक्टर में बंटी है। पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश का इलाका पड़ता है जिसके 90 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके पर चीन ने अपना कब्जा जताया है। मध्य सेक्टर में उत्तराखंड, हिमाचल और सिक्किम हैं। इस इलाके में भी हिमाचल के बाराहुती क्षेत्र पर चीन दावा जता रहा है।































































