लेकिन मन्नान ने कहा,’हमारी ढांचागत जरूरतें काफी ज्यादा है। इसलिए हमें ज्यादा लोन की जरूरत है।’ चीन सोनादिया में बंदरगाह में निवेश को इच्छुक है। यह योजना पिछले काफी समय से ठंडे बस्ते में है।’ चीनी राष्ट्रपति शिनफिंग की ये यात्रा उनके भारत में BRICS सम्मेलन में भाग लेने जाने से पहले हो रही है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक रिश्ता मजबूत करने के प्रयासों के संदर्भ में चीनी राष्ट्रपति की इस यात्रा को देखा जा रहा है।
पिछले वर्ष बांग्लादेश की यात्रा के दौरान मोदी ने 2 बिलियन डॉलर कर्ज देने की घोषणा थी। दरअसल चीन ‘वन बेल्ट, वन रोड’ नीति के तहत पूरे एशिया के देशों के बीच व्यापार और ट्रांसपोर्ट लिंक बढ़ाने का समर्थन करता है। लेकिन भारत इस प्रस्ताव को शक के नजरिये से देखता है। भारत का मानना है कि इससे एशिया का बैलेंस चीन के फेवर में जा सकता है।
शंघाई इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के दक्षिण एशिया स्टडीज के निदेशक झाओ गनचेंग के अनुसार,’ बांग्लादेश में चीन और भारत के बीच कोई इस तरह की प्रतियोगिता नहीं होने जा रही है। बांग्लादेश चीन और भारत दोनों के निवेश का स्वागत करता है। चीन ने बांग्लादेश, म्यांमार, चीन और उत्तरी भारत के लिए आर्थिक कॉरीडोर की वकालत की है लेकिन भारत को इस आइडिया में कोई दिलचस्पी नहीं है।’